कुछ सुनाई दिया?


 
सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?
कुछ कहना है इन्हे
कुछ बातें बतानी हैं
ज़्यादा नहीं, बस एक आधा
कहानी सुननी हैं
इसलिए सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?

सिर्फ पथ्थरों से टकराने
या रेट में मिल जाने
इन्होने समंदर नहीं लांघा
खुद में ना जाने
कितने किस्से समेटे
बचते बचाते छुपते छुपाते
ये तुम तक आई हैं
इसलिए सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?

कुछ आंसू घुले हैं इनमे
कुछ फुर्सत के पल
हर कहानी अलग है
हर लहर में अगल हलचल
ये किस्से उस पार के हैं
किसी दूर देश के
मालूम नहीं वहां किसी ने
इन्हे सुना या नहीं
इसलिए सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?

क्षितिज़ के उस पार भी
इन लहरों को कोई सुनता होगा
या इनमे छुपी कहानियां
समझने की कोशिश
तो करता होगा
वैसे दुनिया के दो छोर
इतने भी अलग नहीं
वही कुछ आंसू यहाँ भी हैं
वही कुछ फुर्सत के पल
इसलिए सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?

जो किसी दिन इन्हे
समझ जाओ
उस परदेश के किस्से
सुन पाओ
तो पल दो पल जोड़कर
एक शाम यहाँ बैठ जाना
एक छोटी सी लहर
चुपके से तुम्हारी थकान मिटा देगी
और ये छप छप की आवाज़
दिल के कोने में दवी कोई याद
गुदगुदा देगी
इसलिए सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
कुछ सुनाई दिया?

कुछ पल के लिए
तुम भी दिल खोल देना
कोई कहानी तुम भी
इन लहरों को बोल देना
इन्हे वापस इस अंतहीन
समंदर को पार करने की
वजह मिल जाएगी
और क्या पता, ये कहानी
उस पार किसी की
हंसी की वजह बन जाएगी
और एक और कहानी
तुम तक वापस लौट आये
इसलिए एक गहरी सांस लो
और कहो
सुनो ! ज़रा गौर से सुनो
आज कहने की बारी मेरी है।

Comments

Popular posts from this blog

"F?@K KNOWS"...The book review...!!!

An Untold Story

Experience worth a million words: Children's day celebration!